बारां – भारत प्राचीनकाल में सोने की चिड़िया और विश्व गुरु के रूप में जाना जाता था। हिंदू चिंतन का मूल सर्वे भवंतु सुखिनः प्राणी मात्र के सुख और विश्व बंधुत्व की कल्पना है, जिसमें कर्णवन्तो विश्वमार्यम का भाव निहित है। समय-समय पर अनेक महापुरुषों ने समाज का जागरण किया। इसी क्रम में पूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। उन्होंने संघ के माध्यम से एक ऐसे समाज का निर्माण करने का संकल्प लिया जो देश और समाज के लिए जी सके। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का लक्ष्य भारत को वैभव संपन्न बनाना है मैदान में लगने वाली संघ की शाखा में चरित्रवान संस्कारवान और देशभक्त नागरिकों का निर्माण होता है। संघ सभी मत पंथ या संप्रदाय के लोगों के लिए खुला है बशर्ते वे भारत माता को मातृभूमि मानें और उसके प्रति सम्मान रखें। यह उद्गार खंडेलवाल धर्मशाला सभागार में सोमवार रात्रि को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क विभाग द्वारा सनातन के समक्ष चुनौतियां एवं हमारी भूमिका विषय पर आयोजित प्रबुद्ध जन गोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह संपर्क प्रमुख योगेंद्र ने व्यक्त किये। नगर संपर्क प्रमुख दीपक मीणा ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मंचासीन अतिथियों का परिचय विभाग संपर्क प्रमुख सुनील गुप्ता ने कराया। कार्यक्रम का समापन एक चर्चा सत्र के साथ हुआ जिसमें प्रबुद्धजनों से सुझाव प्राप्त किए गए। राधेश्याम गर्ग जिला संघ चालक ने आभार प्रकट किया।