आज गायत्री शक्तिपीठ छबड़ा में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ समापन। छबड़ा गायत्री मंदिर परिसर मे अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान मे कलश यात्रा के साथ 21फरवरी से आचार्य सूरत सिंह अमृते ,श्रवण कुमार मिश्रा,नीरज विश्वकर्मा,अभय राज एवं कपूर चन्द्र यादव के सानिध्य मे प्रारंभ हुए 24 कुण्डीय महायज्ञ के आखरी दिन 25 फरवरी को पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ चार दिनो तक चले धार्मिक आयोजन मे प्रज्ञा पुराण,गुरू दीक्षा संस्कार, दीप यज्ञ,सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित हुए। कथा व्यास अमृते जी ने पूर्णाहुति मे बताया कि संसार मे विज्ञान ने बहुत शोध किए यह विज्ञान का ही चमत्कार है बुद्धि का विकास करके गुफाओं कुटिया मे आया झोपड़ी बनाकर गांव बसे बडे बडे मकान बनाए स्कूल कालेज अस्पताल मंहगी गाडियां का अविष्कार हुआ सब विज्ञान का चमत्कार रहा फिर भी व्यक्ति के जीवन सुख शान्ति नही है चारों तरफ आशान्ति है ऐसी स्थिति मे समाधान क्या होगा मनः शान्ति के लिए यज्ञ जरूरी है ।यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म-यज्ञ संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म है।।यज्ञो वै कल्पवृक्षः।यज्ञ कामनाओं को पूर्ण करनेवाला है।। ईजानाः स्वर्गं यन्ति लोकम्।हे वीर! तू यज्ञ कर। भारत महान् बनेगा।देहि में द दामि ते।।यज्ञ भगवान कहते हैं
तुम मुझे दो मैं तुम्हें देता हूं।यज्ञ भगवान हमें क्या देते हैं सुख देते हैं शांति देते हैं पर्जन्य की वर्षा देते हैं आनंद देते हैं और
चार दिनों तक चले धार्मिक कार्यक्रम को लेकर गायत्री परिवार के लोगों मे बहुत अच्छा उत्साह देखने को मिला । रामचरण प्रजापति सोशल मीडिया ने बताया की अखंड ज्योति एवं मातृ जनशताब्दी वर्ष के पवन अवसर पर सप्ताह में एक दिन का 1200 भाई बहनों ने समय दान दिया इसके साथ ही कुछ भाईयों ने नशा छोड़ा । कार्यक्रम का समापन पश्चात भंडारा एवं हरिद्वार आए से आचार्यो की बिदाई की गई। कार्यक्रम को सफल बनाने मे समय दान देने का संकल्प किया