राजमल मीणा की रिपोर्ट
छबड़ा विधायक व पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा है कि पर्युषण पर्व आध्यात्मिक और मानसिक उत्थान के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान है। व्रतों के माध्यम से ही तपश्चर्या करके व्यक्ति को लौकिक एवं पारलौकिक लाभ प्राप्त होता है। वे बुधवार को जयपुर स्थित मोहनबाड़ी में जैन श्वेतांबर समाज के एक कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पर्यूषण महापर्व भाद्रपद माह वर्षा ऋतु में इसलिए मनाया जाता है कि चातुर्मास अवघि यानी वर्षा काल में साधु-साध्वी समूह पद विहार इसलिए नहीं करते कि वर्षा ऋतु में नाना प्रकार के असंख्य जीवों की उत्पत्ती होती है, विहार के समय उनकी हिंसा न हो, आहर-विहार की शुद्धता का ध्यान रखते हुए आवागमन पर रोक लगा दी गयी, सभी धर्मो के साधु—संत चातुर्मास काल में एक ही स्थान पर एकत्रित होकर अपने प्रवचनों से समाज का कल्याण करते हैं उन्हें धर्म की राह पर चलने का संदेश देते हैं। पर्युषण महापर्व अंतरात्मा की आराधना का पर्व है पर्यूषण जिसे सकल जैन समाज बड़े उत्साह, उमंग और आनंद के साथ जप, तप, साधना के माध्यम से मनाता है इसमें आत्मा की उपासना की जाती है। त्याग प्रधान इस धर्म में जैन धर्म के लोग आत्मा की शुद्धि के लिए निष्ठा भाव के साथ 8 दिनों तक कठिन से कठिन साधना और आराधना करते हैं। इस अवसर पर जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के पर्युषण खरतरगच्छ संघ द्वारा मोहन बाड़ी, जयपुर में श्री मणिप्रभ सागर और साध्वी मणप्रभा श्री जी के सानिध्य में मनाया गया। सिंघवी ने कहा कि पर्युषण पर्व की शुरुआत जैन समाज का झण्ड़ारोहण करके कार्यक्रमों की शुरुआत की जाती है।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में प्रताप सिंह सिंघवी, विधायक छबड़ा (जिला बारां) ने धर्मावलम्बियों को संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता खरतरगच्छ समाज जयपुर के अध्यक्ष प्रकाशचंद लोढ़ा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में खरतरगच्छ संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमल चंद सुराणा, मंत्री देवेन्द्र मालू व सांस्कृतिक मंत्री सुशील मूसल उपस्थित रहें।