12 सितम्बर सन् 1730 में अमृता देवी बिश्नोई सहित चोरासी गांव के 363 बिश्नोई [69 महिलाएं और 294 पुरुष]खेजड़ी के हरे वृक्षों को बचाने के लिए खेजड़ली में शहीद हुए थे। खेजड़ी राजस्थान का राज्य वृक्ष होने के साथ ही विश्नोई समाज का आराध्य वृक्ष है।
सरकार ने खेजड़ी को राज्य वृक्ष तो घोषित कर दिया लेकिन इसे काटने वालों के लिए शायद सजा का कोई प्रावधान ही नहीं है, या फिर प्रशाशन सोया हुआ है।
छबड़ा के ग्राम पंचायत सेमली हल्के में आनेवाला गांव अलीनगर से सेमला के मैंन रोड पर सरकारी चारागाह एवं कुछ सेमला के खातेदारों की जगह खाली पड़ी हुई थी, जिस पर सैंकड़ों खेजड़ी के हरे वृक्ष खड़े हुए थे, खेजड़ी के वृक्ष होने के कारण सेमला के एक खातेदार ने तो उसे काश्त के लिए उपयोग में नहीं ले रखा था लेकिन क्षेत्र के ही कुछ अतिक्रमियों की वहां काफी दिन से नजरें थी, गत एक दो दिन के अंदर ही वहां खड़े हुए सैकड़ों हरे भरे खेजड़ी के वृक्षों को किन्हीं अज्ञात लोगों ने काटकर धराशाही कर दिया।
जिसकी प्रशासन को कानोकान खबर भी नहीं लगने दी, और ख़बर लग भी जाती तो भी प्रशाशन शायद ऐसे कामों पर कम ही ध्यान देता है।
आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ऐसे लोगों पर सख्त कार्यवाही नहीं करेगा तो लगभग सारे वृक्ष काट दिए जाएंगे और सरकारी भूमि अतिक्रमी खेती करना प्रारंभ करने लगेंगे।
अधिकारी ऐसे लोगों पर सख्त शीघ्र कार्यवाही करे।
धन्यवाद🙏
9tjudp