केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना की संभावित भयावहता के बीच मुफ्त अनाज योजना को बंद करने का फैसला किया है जिससे देश के 82 करोड़ आश्रितों की महगाई, बेरोजगारी से कमर टूटना तय माना जा रहा है केंद्र सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है यह बात ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के जिलाध्यक्ष भंवर सिंह चौहान ने खानपुर में पत्रकार वार्ता में एक पत्रकार के जवाब में कही।
आपको बता दें कि कि कल ही केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना की 50 गुना अधिक तेजी से फैलते संक्रमण की संभावना की एडवायजरी के बाद यह फैसला लिया है जिसमें प्रधानमंत्री मुफ़्त अनाज योजना को बंद करते हुए खाद्य सुरक्षा योजना 5 kg को निशुल्क को लागू कर दिया है सीधे शब्दों में कहे तो जहां पहले गांव गरीबो को 10 किलो यूनिट अनाज मिल रहा था अब 5 किलो अनाज पर ही संतोष करना पड़ेगा ऐसे परिवारों को कोरोना की भयावहता और दहशत के बीच अब अधिक अनाज के लिए बाजार से मंहगे ऊंचे दामों पर अनाज खरीदकर पेट पालना पड़ेगा
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए जहां एक ओर तमाम चिकित्सीय सुविधाओं, उपकरणों, दवाइयों व इंतज़ामों को दुगुना किया है वही दूसरी ओर गांव, गरीब, बेरोजगारो की तकलीफों से वाकिफ होने के बावजूद केंद्र की मुफ़्त अनाज पर आश्रित 82 करोड़ परिवारों की परवाह न करते हुए उनके पेट पर लात मारने का फैसला किया है जिस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है इसे देश के 5.37लाख राशन डीलरों व उनके परिवारों के लिए भी मुफीद नहीं माना जा सकता
चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमेशा गांव, गरीब, बेरोजगारी की चिंता, मनन की बात करते हैं यदि उनको हकीकत में इतनी भी परवाह है तो गांव, गरीब, बेरोजगारी को संबल देने वाली योजना बंद करने के फैसले पर दुबारा विचार करना चाहिए इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखने की बात भी कही है।