छबड़ा:ग्राम पंचायत भुवाखेड़ी स्थित तेजा जी के थानक पर लग रही हर वर्ष भीड़ लेकिन नही आते अब ग्राम भुवाखेड़ी के थानक पर किसी घोड़ले के तन में तेजाजी।ग्राम निवासी एस. एल.धाकड़ के अनुसार तेजा दशमी का त्यौहार ग्राम भुवाखेड़ी में सभी ग्रामवासियों के सहयोग से हर्षोउल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर पूरे ग्रामवासी महिला, पुरुष,बच्चे सभी में हर्ष और उल्लास का माहौल रहा सभी जन तेजाजी को आमंत्रित कर उनके थानक पर लड्डू-बाटी,चूरमा के भोग लगाने थानक गये।वर्षों पहले घोड़ला के तन में तेजाजी आते थे तत्कालीन धोड़ले की मृत्यु बाद तेजाजी नही आये वर्षों से तेजाजी का थानक हर वर्ष सजता जरूर है सबको नये घोड़ले के तन में तेजाजी का इंतजार है।तेजा दशमी के अवसर पर ग्राम की संगीत मंडली द्वारा तेजाजी की प्रसन्नता के लिए उनके गीत गाए जाते है।धाकड़ ने तेजाजी का संक्षिप्त इतिहास बताते हुये कहा कि कालांतर में
तेजा दशमी राजस्थान के नागौर ज़िले के खरनाल मैं जन्म लिया लोक देवता मृत्यु जी महाराज जिनकी जाति धौलया जाट थी और लोक देवता वीर तेजाजी महाराज को गायों के रक्षक के रूप में भी जाना जाता है कि लोग बहता वीर तेजाजी महाराज का ससुराल सुरसुरा अजमेर जो राजस्थान के अंदर है। तेजाजी वचन के पक्के थे जलते नाग-नागिन को बचाने में नागिन मर गयी नाग जीवित रह गया,क्रोधित नाग को वचन दे युद्ध क्षेत्र से वापस आये तेजा को खूंन से सना देख नाग क्रोधित हुआ डसने का स्थान नही देख तेजा ने वादा निभाया ओर सुरक्षित रही जीभ आगे कर दी नाग ने दंश मार मरते तेजा से प्रशन्न हो कहा वर मांगो तेजा में वचन के धनी तेजा से खुश हुआ तेजाजी के मना करने के बाद भी नागराज ने वरदान दिया,की कोई भी नाग मनुष्य को डस ले ओर तेरे नाम की डसि बांध देगा तो वो मरेगा नही।तब से लेकर आज तक जगह-जगह तेजा जी के थानक बन गये ओर वहां मेले लगने लगें ग्राम में नवमी को तेजाजी की पत्नी की याद में रात जगायी जाती है और दशमी को थानक पर तेजा किसी के तन में आते है और सर्प दंश की उतरी काटी जाती है।आस्था और विश्वास के लोक देवता तेजाजी की याद में लोग व्रत,उपहास रखते है ओर लड्डू,बाटी का भोग लगा व्रत खोलते है और तेजाजी से जहरीले जीव जंतुओं से रक्षा करने का वरदान लेते है ऐसे सम्पूर्ण राजस्थान में यह त्यौहार आज मनाया जाता है।