जयपुर। छबड़ा विधायक व पूर्व मंत्री प्रतापसिंह सिंघवी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम समाज के लिए सिंधी, मुस्लिम कल्याण बोर्ड़, अल्पसंख्यक उद्यमिता एवं काश्तकार कल्याण बोर्ड़, अल्पसंख्यक दस्तकार कल्याण बोर्ड का गठन किया है जो कांग्रेस सरकार की तुष्टिकरण की मानसिकता को दर्शाता है। वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा 2021-22 व 2022-23 के बजट घोषणा में 11 राजकीय अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय का 16609.01 लाख रूपये की लागत से निर्माण कराया और लगभग 2200 अल्पसंख्यक विद्यार्थियों का इसमें नामांकन होना था परन्तु मात्र 1123 विद्यार्थियों का ही नामांकन हो पाया। आधी से ज्यादा सीटे रिक्त रह जाने के बावजूद भी सरकार द्वारा बजट घोषणा 2023-24 में 16 नए राजकीय अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालयों के निर्माण की घोषणा की जिसकी लागत 14180 लाख रूपये प्रस्तावित है। बजट घोषणा में 15 नए छात्रावास खोलने की घोषणा की। इनमें से अधिकतर विद्यालयों एवं छात्रावासों को सरकार ने किराए के भवन में चालू करा दिये है।
सिंघवी ने कहा कि इसी प्रकार बजट घोषणा 2022-23 में 150 मदरसों के निर्माण के लिए 2594 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की और लगभग 959.92 लाख रुपयें की प्रथम किश्त जारी की। इसी प्रकार पूरे राजस्थान में अल्पसंख्यक बोर्ड़ द्वारा मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र में इंटरलोकिंग, सीसी सड़क, सामुदायिक भवन पर करोड़ों रुपये का खर्चा किया गया जबकि राजस्थान में लगभग 8.73 लाख सिक्ख, 6.22 लाख जैन, 0.96 लाख इसाई, 15 लाख बौद्ध और पारसी समुदाय के अल्पसंख्यक लोग निवास करते है जिसमें गंगानगर, बूंदी, बारां जिलों में सिक्ख, जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर, सिरोही में जैन, अजमेर में ईसाई समुदाय के गांव और नगरो में बहुसंख्यक बस्ती है, परन्तु इन स्थानों पर कांग्रेस सरकार ने अल्पसंख्यक बोर्ड़ के माध्यम से बालक बालिकाओं के लिए आवासीय विद्यालय, छात्रावास या अन्य मूलभूत सुविधा जैसे सड़क, सार्वजनिक सामुदायिक भवनों का निर्माण नहीं कराया है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार तुष्टिकरण की नीति को बढ़ावा दे रही है और वोट के लिए करोड़ों रुपये मुस्लिम बस्तियों में खर्च रही है।
विधायक ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने राजस्थान अंबेडकर डीबीटी वाउचर योजना चालू की है, जिसमें अल्पसंख्यक व मुस्लिम समाज को फायदा पंहुचाकर तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया है। सरकार द्वारा मुस्लिम बस्तियों में करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी विद्यार्थियों के नामांकन नही हो रहे है जबकि पूरे राजस्थान में बहुसंख्यक समुदाय अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग के छात्र—छात्राए शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्रावास, आवासीय विद्यालय और कॉलेजो में नामांकन कराने जाते है तो सीटे नहीं होने के नाम पर उनका नामांकन करने से मना कर दिया जाता है, जिससे राज्य के कितने ही विद्यार्थियों का भविष्य खत्म हो जाता है। एक तरफ तो सरकार तुष्टिकरण की नीति अपनाते हुए जहां नामांकन के लिए विद्यार्थी नहीं है वहीं दूसरी ओर अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थी पढ़ना चाहते है उनका भविष्य कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति के चलते अंधकारमय हो जाता है।