छबड़ा विधायक व पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने जिन राज्यों में चुनाव सम्पन्न हो जाए उन राज्यों में चुनाव आचार संहिता हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्यों में चुनाव सम्पन्न हो जाते है लेकिन आचार संहिता न हटने के कारण प्रदेश में विकास के कार्य नहीं हो पाते है। देशभर में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है यह चुनाव प्रक्रिया परिणाम आने तक बरकरार रहती है ऐसे में प्रदेश में सभी प्रकार के विकास कार्य ठप्प हो जाते है। प्रदेश में जनहित के कार्य भी नहीं हो पाते है जिससे आम नागरिकों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आमजन के साथ साथ ही राज्य सरकार को भी आर्थिक नुकसान होता है। चुनाव आचार संहिता होने के कारण राज्य सरकारें कोई भी नई योजनाएं व नई घोषणाएं भी नहीं कर सकती। नए विकास कार्यो के लिए न तो राशि स्वीकृत की जा सकती है और न ही टेंडर जारी किए जा सकते है। जिन राज्यों में जैसे जैसे चुनाव प्रक्रिया पूर्ण हो जाए उन राज्यों में जनहित में चुनाव आचार संहिता हटाई जानी चाहिए। लम्बे समय तक चुनाव आचार संहिता रहने से प्रदेशों में विकास की गति धीमी हो जाती है।
सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वन नेशन वन इलेक्शन का कमिटमेंट भी कर रखा है। देश में ‘एक देश एक चुनाव’ की परंपरा को लागू करने से चुनाव में पैसों और समय की बर्बादी बचेगी। साथ ही राज्यों में बार-बार चुनाव कराने की चुनौती से भी मुक्ति मिलेगी। ऐसा करने से चुनाव में इस्तेमाल होने वाले काले धन पर भी लगाम लगाई जा सकती है। साथ ही सरकारी संसाधनों का उपयोग सीमित होगा और इससे देश में विकास कार्यों की रफ्तार बढ़ेगी। सरकारी खजाने पर बोझ और राजनीतिक दलों पर भी उनके अभियानों पर लगने वाली लागत कम होगी।