राजस्थान: अंता उपचुनाव 11 नवंबर को होगा,वसुंधरा समर्थक की सीट पर होगा रोचक मुकाबला
राजस्थान की सियासत एक बार फिर गर्माने वाली है। बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को परिणाम आएंगे। चुनाव आयोग ने इसकी औपचारिक अधिसूचना 13 अक्टूबर को जारी करने का ऐलान किया है।
राजस्थान: अंता उपचुनाव 11 नवंबर को होगा,वसुंधरा समर्थक की सीट पर होगा रोचक मुकाबला
राजस्थान की सियासत एक बार फिर गर्माने वाली है। बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को परिणाम आएंगे। चुनाव आयोग ने इसकी औपचारिक अधिसूचना 13 अक्टूबर को जारी करने का ऐलान किया है। उम्मीदवार 21 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे, 23 अक्टूबर को जांच होगी और 27 अक्टूबर तक नाम वापसी की प्रक्रिया चलेगी।
यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक विधायक कंवरलाल मीणा की विधायकी रद्द होने के बाद खाली हुई थी। कंवरलाल मीणा को एसडीएम पर पिस्टल तानने के 20 साल पुराने मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद मई में उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई थी। नियमों के अनुसार, किसी सीट के खाली होने के छह महीने के भीतर उपचुनाव करवाना अनिवार्य होता है।
कांग्रेस की ओर से इस सीट पर प्रमोद जैन भाया को फिर टिकट दिए जाने की चर्चा है। भाया, अंता क्षेत्र में पहले भी विधायक रह चुके हैं और संगठन में मजबूत पकड़ रखते हैं। वहीं, पूर्व छात्र नेता नरेश मीणा मुकाबले को दिलचस्प बना सकते हैं। नरेश मीणा, प्रमोद भाया के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। अगर कांग्रेस भाया पर दांव लगाती है, तो नरेश मीणा के निर्दलीय उतरने की संभावना जताई जा रही है।
पिछले साल उन्होंने देवली-उनियारा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसमें कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व के सामने उम्मीदवार चयन को लेकर पेचीदगी बढ़ सकती है।
भाजपा में भी टिकट को लेकर रस्साकशी तेज है। संगठन पूर्व विधायक सहित कई स्थानीय नेताओं के नामों पर मंथन कर रहा है। अंता सीट को वसुंधरा गुट का गढ़ माना जाता है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किसे मैदान में उतारती है। पार्टी के रणनीतिकार इस सीट को सरकार के जनमत परीक्षण के रूप में देख रहे हैं।
चुनाव विभाग के अनुसार, अंता विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,26,227 मतदाता हैं — जिनमें 1,15,982 पुरुष, 1,10,241 महिलाएं और 4 अन्य मतदाता शामिल हैं। हाल ही में चले पुनरीक्षण अभियान में 1336 नए वोटर जोड़े गए हैं। 1 अक्टूबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की गई।
राज्य में बीजेपी सरकार बनने के बाद अब तक 7 सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 5 सीटें बीजेपी के खाते में गई हैं। कांग्रेस को अब तक केवल एक सीट मिली है, जबकि आरएलपी को भी बड़ा झटका लगा। पिछले साल हुए खींवसर, देवली-उनियारा, झुंझुनूं, दौसा, चौरासी, रामगढ़ और सलूंबर सीटों के उपचुनावों में बीजेपी ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया।
पिछले उपचुनावों में कांग्रेस केवल दौसा सीट पर जीत दर्ज कर सकी थी। वहीं, खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल की पत्नी और दौसा सीट पर मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई की हार ने सियासी हलचल मचा दी थी। इन दोनों हारों की चर्चा आज भी राजस्थान की राजनीति में होती है।
हालांकि अंता उपचुनाव के नतीजों से सरकार की संख्या पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन राजनीतिक पर्सेप्शन पर इसका बड़ा असर होगा। अगर बीजेपी यह सीट जीतती है तो इसे सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर के रूप में देखा जाएगा। वहीं, अगर हार होती है तो विपक्ष इसे जनता की नाराज़गी का संकेत बताकर हमलावर रुख अपना सकता है।