भरत सिंह का 75 साल की उम्र में निधन. पार्थिव शरीर को कोटा गुमानपुरा स्थित उनके घर भीम निवास और जिला कांग्रेस दफ्तर लाया गया.
Bharat Singh Passes Away
भरत सिंह के निधन पर नेताओं ने जताया शोक
कोटा: पूर्व मंत्री भारत सिंह का 75 साल की उम्र में जयपुर में उपचार के दौरान देहांत हो गया है. जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को मंगलवार को कोटा गुमानपुरा स्थित उनके घर भी लाया गया, जहां पर श्रद्धांजलि दी गई. इसके बाद जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर कोटडी रोड पर ले जाया गया. जहां पर जिले के सभी वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें नम आखों से श्रद्धांजलि दी. इसके बाद शरीर को पैतृक गांव कुंदनपुर ले जाया गया है, जहां पर अंतिम संस्कार होगा. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत तमाम बड़े नेता शामिल होंगे.
भरत सिंह के बारे में जानकारी देते हुए उनके पूर्व निजी सहायक जगदीश गुप्ता का कहना है कि चुनाव में कोई ज्यादा राशि खर्च नहीं करते थे. बिना लवाजमे के ही चुनाव लड़ लेते थे. उनके चुनाव में कुछ लाख रुपए ही खर्च होते थे. ज्यादा बड़ी सभाएं और बैनर-पोस्टर लगाना भी उन्हें पसंद नहीं था. पूरे जीवन में गांधी विचारधारा को ही उतार कर वे राजनीति करते रहे हैं. जगदीश गुप्ता का कहना है कि भरत सिंह खुद ही उनके कार्यकर्ताओं को फोन पर जुट जाने के लिए कहते थे और वह अपने आप ही काम में जुट जाते थे. कांग्रेस नेता अशोक चांदना का कहना है कि भरत सिंह चुनाव प्रचार के दौरान अपनी कार में ही माइक साथ लेकर चलते थे. छोटे-छोटे गांव में ही नुक्कड़ पर सभाएं कर लेते थे.
भरत सिंह को लेकर किसने क्या कहा, सुनिए… (ETV Bharat Kota)
विरोध का अनूठा तरीका- रावण लेकर पहुंच जाते थे दहन करने : भरत सिंह का विरोध करने का भी तरीका अनूठा था. वह अपने ही पार्टी के नेताओं का कई बार विरोध कर चुके थे. जिनमें मुख्यमंत्री से लेकर छोटे-बड़े नेता शामिल हैं. भरत सिंह धरना प्रदर्शन और रैली निकालकर विरोध करते थे. जिसमें वे रावण का पुतला साथ लेकर दहन करने चले जाते थे. उनके कई धरना प्रदर्शन और घर के बाहर लगे पोस्टर उनके इस अनूठे तरीके का घोतक रहे हैं. भरत सिंह ने अपने ही गांव के एक सामान्य परिवार से आने वाले व्यक्ति को जिला प्रमुख बनवा दिया, लेकिन बाद में भ्रष्टाचार का मामला आने पर खुद कांग्रेस पार्टी से निष्कासित करवाने पर अड़ गए. यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष को भी इस संबंध में पत्र भेज दिया.
गलत काम के लिए कर देते थे इनकार : जगदीश गुप्ता का कहना है कि भरत सिंह गलत काम के लिए साफ तौर पर ही कार्यकर्ता को मना कर देते थे. उन्होंने कहा कि एक बार सांगोद के कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता के दामाद का ट्रैक्टर वन विभाग ने जब्त कर लिया गया. यह साल 2022 का मामला था. भरत सिंह विधायक थे तो दामाद उनके पास आ गया. उसने वन विभाग के ट्रैक्टर पकड़ने की बात कही. इस पर भरत सिंह ने साफ फटकार लगाते हुए कह दिया कि मैं गलत का साथ नहीं देता. मैंने ही कार्रवाई के लिए कहा है, अब मैं कैसे मना करूंगा. भरत सिंह की राजनीतिक जीवन में कई नेताओं से खटपट चलती रही है.
गुंजल बोले- छवि वाले व्यक्तित्व का सूर्य अस्त हुआ : भरत सिंह को श्रद्धांजलि देने पहुंचे प्रह्लाद गुंजल ने कहा कि पूरा राजस्थान जानता है कि भरत सिंह ईमानदारी व बेबाक छवि वाले व्यक्तित्व का सूर्य अस्त हो गया है. उनका जीवन काजल की कोटड़ी में राजनीति करते हुए जिस तरह का रहा है, कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है. भरत सिंह ने एथिक्स और सिद्धांत के लिए जीवन को दावों पर लगा दिया. राजनीति में ऐसा जीवन होना अनुपम उदाहरण है. उनका मेरे लिए पुत्रवत छोटे भाई जैसा व्यवहार रहा. मैं जब बीजेपी में था, तब भी मेरे को मार्गदर्शन, दिशा-निर्देश देते थे और मेरी चिंता करते थे.
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पीपल्दा विधायक चेतन पटेल कोलाना ने कहा कि भरत सिंह जी की क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है. मैं पहली बार विधायक हूं व नया राजनीति में आया हूं. हमारे लिए भी काफी कुछ सीखने के लिए है. उनके पीए रहे जगदीश गुप्ता आजकल मेरे साथ काम कर रहे हैं. वह मुझे उनके उदाहरण बताते हैं. जब मैं निर्दलीय पंचायती समिति सदस्य का छोटा चुनाव लड़ा था तो भी उन्होंने मुझे पत्र भेज मेरा सहयोग किया था.
भरत सिंह के बेटे नहीं हैं राजनीति में सक्रिय : भरत सिंह के पिता जुझार सिंह लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहे थे. झालावाड़ लोकसभा सीट से सांसद के रूप में उन्होंने प्रतिनिधित्व भी किया था. इसके बाद भरत सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए. सरपंच, प्रधान और चार बार विधायक रहे हैं. हालांकि, उन्होंने अपने बेटों को राजनीति में एंट्री नहीं करवाई. उनके बड़े बेटे भगवती सिंह जयपुर में जॉब करते हैं. कोऑपरेटिव सेक्टर की निजी कंपनी में जनरल मैनेजर हैं. छोटे बेटे गंगा सिंह आर्टिस्ट हैं. वे कोटा में ही खेती के साथ यह कार्य करते हैं. दोनों बेटों को एक-एक बेटी है. भरत सिंह की पत्नी मीना देवी जरूर सरपंच रही हैं.
चिट्ठियां लिखकर आ गए थे चर्चा में : भरत सिंह के साथ निजी सहायक के रूप में काम कर चुके जगदीश गुप्ता का कहना है कि भरत सिंह बीते एक दशक में 1000 के आसपास चिट्ठियां लिख चुके थे. यह चिट्ठियां प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों, मुख्यमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, मुख्य सचिव, कांग्रेस संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी को लिखी गई थीं. इसके साथ ही आम जनता को लिखी गई चिट्ठियां भी उनकी काफी चर्चा में रही हैं. वह बेबाकी से अपनी राय रख देते थे. जब विधायक थे तो चिट्ठी लिखना रूटीन बन गया था. अपनी मांग या किसी से भी मनवा सकते थे