अतिवृष्टि तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से फसल को नुकसान होने के बाद किसानों को फसल बीमा मुआवजा राशि प्राप्त करने में आ रही कठिनाइयों को लेकर किसान प्रतिनिधियों की उपस्थिति में केंद्र सरकार के वित्त तथा कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की।
अधिकारियों से कहा कि फसल नुकसान की सूचना किसान 72 घंटे के भीतर ग्राम पंचायत अथवा ग्राम सहकारी समिति के माध्यम से भी दे सकें, इसकी संभावना तलाश की जाए।
किसान को फसल नुकसान की सर्वे रिपोर्ट भी नहीं दी जाती। उससे खाली सर्वे रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करवा लिए जाते हैं। सर्वे रिपोर्ट को बाद में भरा जाता है जिससे किसान को पता ही नहीं चलता कि उसका कितना खराबा अंकित किया गया है। बाद में मामूली मुआवजा मिलने पर वह खुद को ठगा सा महसूस करता है। अधिकारी सर्वे टीम को निर्देश दें कि सर्वे रिपोर्ट मौके पर ही भरा जाए तथा उसकी एक प्रति किसान को भी अनिवार्य रूप से दी जाए ताकि सहमति नहीं होने पर किसान समय रहते आपत्ति दर्ज करवा सके।
खेत पर बोई फसल तथा पटवारी की रिपोर्ट व बैंक द्वारा बीमा रिकाॅर्ड में अंकित फसल में अंतर होने के कारण किसानों को बीमा क्लेम निरस्त कर दिया जाता है। अधिकारियों से कहा कि किसान अपनी सही फसल ई-मित्र के जरिए रिकाॅर्ड में अपडेट करवा सकें, बीमा पाॅलिसी भी ई मित्र से मिल सके इसके लिए सिस्टम में प्रावधान किए जाएं।
बंटाई पर लिए गए भूखण्ड पर फसल को हुए नुकसान की बीमा राशि सही व्यक्ति को मिले, इसके लिए भूखण्ड मालिक और बंटाईदार के बीच लिखित एग्रीमेंट की प्रवृति को प्रोत्साहित किया जाए। इसमें सादा कागज पर दोनों पक्षों के स्वघोषणा पत्र तथा पटवारी के प्रमाण पत्र के उपयोग की भी संभावना तलाशी जाए।
अधिकारियों को कहा कि एक खातेदार के कई खसरों में खेती होने पर कंपनी सिर्फ सबसे छोटे खसरे का भुगतान करती है। जब बीमा प्रीमियम सभी खसरों का दिया गया है और खराबा भी सभी खसरों में हुआ है तो सभी खसरों को मुआवजा किसान को खाता संख्या के अनुसार मिले, यह अधिकारी सुनिश्चित करें।
इसके अलावा फसल की बुआई असफल होने या फसल में फूल आने से पहले प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान होने पर भी बीमा कंपनी से 25 प्रतिशत के मुआवजे का प्रावधान हैं। बीमा कम्पनियां यह भी नहीं दे रही हैं। इस बारे में भी अधिकारी बीमा कंपनियों से बात कर सुनिश्चित करें कि किसानों को बीमा क्लेम मिल सके।