रिपोर्टर राजेंद्र कुमार शर्मा
बारां – स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी घुमंतू जातिया अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं।शासन द्वारा इनके सामाजिक उत्थान के लिए योजना बनाती है किन्तु इन जातियों का एक स्थान पर निवास नहीं होने के कारण से इनको वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ घुमंतु जातियों के परिवारों को समाज व राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने के लिए संपूर्ण देश भर में कार्य कर रहा है।संघ पिछले 97 वर्षों से समाज समरसता के लिए प्रयासरत हैं।यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में शुक्रवार को मनोहर घाट स्थित नंदनी गौशाला में आयोजित घुमंतू जाति एवं भारतीय समाज विषय पर आयोजित विचार संगोष्ठी में अखिल भारतीय घुमंतू कार्य प्रमुख दुर्गादास ने व्यक्त किए।उन्होंने संघ द्वारा घुमंतु जातियों के सामाजिक उत्थान के लिए किए जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के समय स्वतंत्रता सेनानियों को इन जातियों ने भरपूर सहयोग दिया था। घुमंतू जातियां हिंदू समाज का अभिन्न अंग है तथा सेवा व समर्पण का पर्याय है इनके प्रति समाज को सोच बदलने की आवश्यकता है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एकमात्र ऐसा संगठन है जिसमें सभी जाति धर्म के लोग मिलकर समाज सेवा करते हैं।जिला घुमंतू कार्य प्रमुख रामसागर मेघवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ समरसता गीत के साथ किया गया।मंचासीन अतिथियों के परिचय के उपरांत कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत की गई।इस अवसर पर प्रभु लाल प्रांत घुमंतू कार्य प्रमुख की उपस्थिति रही।शांति मंत्र के साथ विचार संगोष्ठी का समापन हुआ।यह जानकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार विभाग द्वारा दी गई।