बारां. जहां चाह, वहां राह। जिले के किशनगंज उपखंड के बांसथूनी क्षेत्र के समृद्ध जंगल को देख प्रकृतिप्रेमी ही नहीं, आसपास के गांवों के निवासी भी हर्षित हो उठते हैं और उनके मुंह से यही शब्द निकलते हैं। वन विभाग की ओर से तो करीब 250 हैक्टेयर के इस वन की सुरक्षा व यहां प्लांटेशन के लिए प्रयास किए ही है, आसपास के गांवों के लोगों की स्वप्रेरित भागीदारी ने इस क्षेत्र में चार चांद लगा दिए। बांसथूनी गोशाला से सटे से इस वन क्षेत्र में बीते लगभग दो दशक में कोई पेड़ काटने का साहस तक नहीं जुटा सकता। इसका ही नतीजा है कि यहां सघन वन खड़ा है। कोई भी व्यक्ति अकेले प्लांटेशन में 50 मीटर की दूरी से अंदर नहीं जा सकता है। वैसे तो प्रदेश वन भूभाग के मामले में टॉप फाइव जिलों में बारां जिले में 60 प्लांटेशन हैं, लेकिन इसकी तुलना में कोई कहीं नही ठहरता। यही कारण रहा कि वर्ष 2013 में इस प्लांटेशन को राज्य सरकार की ओर से वृक्ष मित्र पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। अब तो यह प्लांटेशन क्षेत्र दिनोंदिन और भी सघन होता जा रहा है।
शून्य से शिखर पर पहुंचा
वर्ष 2004 बांसथूनी वन क्षेत्र जीरो वन क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। इसके बाद यहां प्लांटेशन विकसित करने का कार्य शुरू किया गया। विभाग के इस प्रयास की शुरुआत में तो क्षेत्र के ग्रामीणों ने कोई रुचि नहीं दिखाई, लेकिन बाद में क्षेत्र निवासी पुरुषोत्तम नागर ने यहां नियमित रूप से पहुंच पौधों की सारसंभाल की तो कारवां जुड़ता चला गया। नागर के साथ आज दर्जनों लोग नियमित रूप से इस प्लांटेश की देखरेख में जुटे हैं। वन विभाग ने इसे जनता वन योजना के तहत विकसित किया था।वन्य जीवों की सुरक्षित शरण स्थली
वन विभाग के अधिकारी बताते है कि इस सघन वन क्षेत्र में लकड़बग्गा, सियार व जंगली सूअर समेत बड़ी संख्या में अन्य जानवर व पशु-पक्षियों का निवास है। यह सभी बेखौफ रहते हैं। इन्हें इस क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में आहार व पेयजल सुलभ होता है। इस प्लांटेशन क्षेत्र में कोई भी लकड़की काटने का ही नहीं, सूखी व टहनियों से टूटी लकड़ियों को संग्रहित करने का साहस नहीं जुटा पाता। ग्रामीण इतने सजग हैं कि विभाग के अधिकारी, कर्मचारी निश्चिंत रहते हैं।
गोशाला में बड़ व पीपल के सघन वृक्ष
इस प्लांटेशन के प्रवेश द्वार से सटी बांसथूनी गोशाला भी है, यह भी सभी सुविधाओं से सरसब्ज है। यहां जैविक खाद का उत्पादन होता है, जिसकी मांग जिले में नहीं प्रदेशभर में रहती है। गोशाला से जुड़े लोगों ने पर्यावरणविद् डॉ. अर्जुन सिहं राजावत की अगुवाई में बड़ व पीपल के सैकड़ों पेड़ लगाए थे, जो वटवृक्ष की रूप ले चुके हैं।
बांसथूनी प्लांटेशन क्षेत्र जिले का सबसे सघन वन क्षेत्र है। इस क्षेत्र में आवंले के पौधे बहुतायात में है, जिन्हें ग्रामीण आचार बनाने के लिए तो वन्य जीव व पशु-पक्षी आहार के रूप में उपयोग में लाते हैं। लाोगों को इस प्लांटेशन का जायजा लेकर अपने इलाकों में पर्यावरण को बढ़ाने में योगदान की सीख लेनी चाहिए।
दीपक गुप्ता, उपवन संरक्षक, बारां